बेटी, सुनहरी धूप सी.....!
बेटी, नीम की छांव सी....!
बेटी, धन सी कामना...!
बेटी, कुल को तारना....!
बेटी, जीवन की आदि.अन्त....!
बेटी, मंदिर की साधु-संत....!
बेटी, गृहस्थ की पहली कड़ी.....!
बेटी, आनन्द की बेल चढ़ी......!
बेटी, दो कुटुम्ब की आधार-शान....!
बेटी, मधु-अमृत और सम्मान......!
बेटी सुख-दुःख की छाया.....!
बेटी, श्रृंगार की पेटी-माया...!
बेटी, सतरंगी इन्द्रधनुष...!
बेटी, सास की साजिश......!
बेटी, कोरा कागज ......!
बेटी, भव में जहाज.....!
बेटी, तेरा क्या?... हक है......?
यह पूछने वाले आप कौन है?
-के.पी.सत्यम
बढ़िया।
ReplyDeleteWah!!sunder 👌
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