हाकिम हो, चपरासी हो
नेता हो, व्यापारी हो
मंत्री हो, दरबारी हो
चाहे रंगरुट सिपाही हो।
नर हो या फिर नारी हो
लम्बे बाल, दाढ़ी हो
आमद जिसकी गाढ़ी हो
कद जितना भी भारी हो।
बनिया हो, मारवाड़ी हो
ब्राहमण हो या हाड़ी हो
सड़क हो या फांड़ी हो
सूट हो या फिर साड़ी हो।
शासन में कड़ाई हो
आर-पार की लड़ाई हो
दुश्मन की सफाई हो
शासक की बढ़ाई हो।
हो सीना चौड़ा सबका
चोरों की पिटाई हो
काले धन पर राजनीति की
सर्जिकल स्ट्राईक हो।
-अमरेन्द्र सुमन
अनहद कृति से
बहुत खूब
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.1.17 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2582 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteVery nice writing by Amrendra suman jee.
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