Thursday, January 12, 2017

दर्द की ये भी है संगदिली दोस्तों........श्रीमती आशा शैली

हर तरफ़ से है देखी हुई दोस्तों। 
फिर भी है ज़िन्दगी अजनबी दोस्तों।।

प्यार को खोज लो हर गली दोस्तों।
प्यार की है ज़रुरत बड़ी दोस्तों।।

प्यार के बिन ग़ुज़रता नहीं एक पल,
कैसे गुज़रेगी ये ज़िन्दगी दोस्तों?

बात जब भी बहारों की होने लगी,
हम पे छाने लगी बेख़ुदी दोस्तों।।

क्या पता कब पटक दें हमें गर्दिशें,
कब कहाँ घेर ले बेबसी दोस्तों।।

ग़म के गहरे समन्दर में कर ग़र्क दे,
एक मासूम-सी सरकशी दोस्तों।।

ताब-ए-ज़ब्त अपनी भी तुम देख लो,
लब पे आई नहीं तिश्नगी दोस्तों।।

अश्क आँखों में आए न लब पे दुआ,
दर्द की ये भी है संगदिली दोस्तों।।

पास सबके यहाँ बाँटने के लिए,
इक कहानी कही-अनकही दोस्तों।।
-श्रीमती आशा शैली 
अनहद कृति से 

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