चलो मोदी को नहीं लाते हैं.....|
कोई और विकल्प बताते है.....||
चलो नेहरु को ले आते हैं,
कोई और विकल्प बताते है.....||
चलो नेहरु को ले आते हैं,
एक और पाकिस्तान बनाते हैं.....|
हम खून पसीना बहा कर आयकर चुकायेगे,
और वो अपना कोट विदेश में धुलवायंगे......||
चलो हाथी पर भरोसा जताते हैं,
जो लडते हैं धर्म के नाम पर.....|
उन्हें जात के नाम पर लड़वाते हैं......||
चलो साइकल में हवा भरवाते हैं,
उन्हें जात के नाम पर लड़वाते हैं......||
चलो साइकल में हवा भरवाते हैं,
शहर में जंगल राज चलवाते हैं.....|
अनपढ़ से आइयाशी और पढ़े लिखो से
रिक्शा चलवाते है.....||
या सर्वोतम विकल्प फिर से कांग्रेस को लाते हैं,
बच्चों से राहुल की जीवनी पढवाते हैं....|
आँखों पर पट्टी बांध कर खाई में कूद जाते है.......||
आज समझ आया क्यूँ अक्सर विदेशी,
कुत्तों और भारतीयों पर रोक लगाते हैं.....|
क्यूंकि कुत्ते घी और हम शांति, सत्य,सकून
और इज्ज़त हजम नहीं कर पाते हैं....||
एक आजम खां जो भारत माँ को डायन कहता है.....|
एक दिग्विजय जो हर औरत को टंच समझते हैं.....||
किसी को भी सत्ता में लाते हैं,
अनपढ़ से आइयाशी और पढ़े लिखो से
रिक्शा चलवाते है.....||
या सर्वोतम विकल्प फिर से कांग्रेस को लाते हैं,
बच्चों से राहुल की जीवनी पढवाते हैं....|
आँखों पर पट्टी बांध कर खाई में कूद जाते है.......||
आज समझ आया क्यूँ अक्सर विदेशी,
कुत्तों और भारतीयों पर रोक लगाते हैं.....|
क्यूंकि कुत्ते घी और हम शांति, सत्य,सकून
और इज्ज़त हजम नहीं कर पाते हैं....||
एक आजम खां जो भारत माँ को डायन कहता है.....|
एक दिग्विजय जो हर औरत को टंच समझते हैं.....||
किसी को भी सत्ता में लाते हैं,
बाऊ बाऊ चिलाते है....|
नहीं मोदी को नहीं लाते हैं,
नहीं मोदी को नहीं लाते हैं,
कोई और विकल्प बताते है.....||
--बलवीर कुमार
balvir.kumar@expressindia.com
बहुत बढ़िया है आदरेया-
ReplyDeleteरचयिता को भी बधाई-
कसके धो कर रख दिया, पूरा दिया निचोड़ |
मुद्रा हुई रसातली, भोगें नरक करोड़ |
भोगें नरक करोड़ , योजना बनी लूट की |
पाई पाई जोड़, गरीबी लगा टकटकी |
पर पाए ना लाभ, व्यवस्था देखे हँस के |
मोदी पर संताप., मचाती सत्ता कसके ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व्यंग्य रचना।
ReplyDeleteहकीकत बयान करती व्यंगात्मक रचना !!
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर करारा व्यंग
latest post आभार !
latest post देश किधर जा रहा है ?
सच है किस पर भरोसा करें
ReplyDeleteराष्ट्र हित में अब सोचता कौन है ....
बढ़िया व्यंग्य !
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शनिवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteसुन्दर व्यंग्य
ReplyDeleteकसके धो कर रख दिया, पूरा दिया निचोड़ |
ReplyDeleteमुद्रा हुई रसातली, भोगें नरक करोड़ |
- रविकर जी
के कथन से सहमत !
बेहतरीन रचना ...... बिना निरमा.....एरियल डाले ही धो डाला ...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।।।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना , बहुत समय से ऐसी ही कुछ रचनाओ का इन्तजार था।
ReplyDeleteजनता के असमंजस का सही छाया चित्र. साधुवाद.
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