Sunday, August 4, 2013

राह देखा करेगा सदियों तक............मीना कुमारी



चांद तन्‍हा है आसमां तन्‍हा
दिल मिला है कहां कहां तन्‍हा

बुझ गई आस छुप गया तारा
थर-थराता रहा धुंआँ तन्हा

जिंदगी क्‍या इसी को कहते हैं
जिस्‍म तन्‍हा है और जहां तन्‍हां

हमसफर कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे तन्‍हा तन्‍हा

जलती बुझती सी रोशनी के परे
सिमटा सिमटा सा इक मकां तन्‍हां

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जायेंगे ये जहां तन्‍हा

-मीना कुमारी 

सुनिये ये ग़ज़ल उन्हीं का आवाज में..

6 comments:

  1. बहुत खुबसूरत !!

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  2. वाह .. मज़ा आ गया आपकी आज कि पोस्ट में .. बढ़िया गज़ल के साथ सुन्दर सा गाना भी ..

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  3. आपकी इस प्रस्तुति को शुभारंभ : हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 1 अगस्त से 5 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।

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