Friday, August 16, 2013

जैसे कि प्रेम भक्ति में डूबी ..... मीरा कोई........



तेरी आरज़ू की तपिश में ऐसे पिघलती हूँ
जैसे कि इंतजार में जलती हुई शमा कोई

तेरे जिस्म से होकर ऐसे निकलती हूँ
जैसे कि दिल से गुजरी धड़कन कोई

बंद पलकों पे ख्याबों के साथ चलती हूँ
जैसे कि गुजरे हुए पलों की याद कोई

चाहत के धागे तनहाई में बुनती हूँ
जैसे कि दर्द गाती हुई बैरागन कोई

साँसों की सरगम में तेरा ही राग सुनती हूँ
जैसे कि प्रेम भक्ति में डूबी ..... मीरा कोई

तेरी बोली जानूँ .. तेरी ही भाषा सुनती हूँ
जैसे कि तेरे मोहजाल में फंसी चाह कोई

-मनीष गुप्ता

12 comments:

  1. गजब है ...आह...बिलकुल मन की तान छेड़ती हुयी रचना ...
    साँसों की सरगम में तेरा ही राग सुनती हूँ
    जैसे कि प्रेम भक्ति में डूबी ..... मीरा कोई

    तेरी बोली जानूँ .. तेरी ही भाषा सुनती हूँ
    जैसे कि तेरे मोहजाल में फंसी चाह कोई..... वाह बहुत सुन्दर

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  2. बहुत सुन्दर मनभावन रचना..
    :-)

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  3. बहुत खुबसूरत निशब्द करती रचना !!!

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  4. लिखी दिल से है बात ऎसे
    मन ही मन सुन रहा कोई !

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  5. बहुत खुबसूरत रचना

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
    पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra

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  7. प्रेमरस में डूबी कविता ।

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  8. भावो को संजोये रचना......

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  9. बेहतरीन काव्य रचना आदरणीया....बधाई

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