Friday, April 26, 2013

किससे जाकर बोले मेरी गजल.............अजीज अंसारी









जैसा मौका देखे वैसा हो ले मेरी गजल
वो बातें जो मैं नहीं बोलूं बोले मेरी गजल


चांद-सितारे अर्श1 पे जाके जब चाहें ले आएं
ऐसे अदीबोशायर2 से क्यूं बोले मेरी गजल


आज खुशी का मोती शायद इसको भी मिल जाए
गम की रेत को साहिल-साहिल रौले मेरी गजल


शोर-शराबे से घबराकर जब मैं राहत चाहूं
मेरे कानों में रस आकर घोले मेरी गजल


दिल से इसको चाहने वाला जब भी कभी मिल जाए
मन ही मन में झूमे गाए, डोले मेरी गजल


जिसको देखो इससे आकर अपना दुख कह जाए
अपने दुख को किससे जाकर बोले मेरी गजल


इतनी हिम्मत इतनी ताकत दी है खुदा ने 'अजीज'
दुनिया भर के भेद सभी पर खोले मेरी गजल
 1. आकाश 2. लेखक-कवि

- अजीज अंसारी

5 comments:

  1. मेरे कानों में रस आकर घोले
    बहुत सुंदर ग़ज़ल.....:).

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  2. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए धन्यवाद!

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  3. बहुत सुन्दर ग़ज़ल ...

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  4. आज खुशी का मोती शायद इसको भी मिल जाए
    गम की रेत को साहिल-साहिल रौले मेरी गजल-----सुंदर अहसास

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