Saturday, April 27, 2013

पथ में जिसके कांटे अधिक हैं............डॉ. परमजीत ओबराय (एन.आर.आई)


संसार क्षेत्र की यात्रा करने
चली आत्मा
रूप अनेक धार।



पथ में जिसके कांटे अधिक हैं
फूल हैं केवल चार।



कुछ रूप हैं उसके बलवान
दुर्बल को नित मिली असफलता
बलवान को पहचान।

सभी रूपों में बढ़कर है
मानव रूप महान।

मानव है सर्वश्रेष्ठ रचना
उस ईश की
रखें यह सदा ध्यान।



शरीररूपी विश्राम स्थलों पर
डेरा अपना डाल


नव प्रभात हो चला जाएगा
आत्मा यात्री महान।


- डॉ. परमजीत ओबराय

7 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना....मानव है सर्वश्रेठ रचना .

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर और उत्कृष्ट रचना.

    ReplyDelete
  3. Kripya char phool ka vivran de Aatma ki yatra me, Manav hi he sarvshresht toh samjh aa gyi.

    ReplyDelete
  4. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (28-04-2013) के चर्चा मंच 1228 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

    ReplyDelete
  5. आत्मा की यात्रा तो सतत चलती ही रहनी है
    बहुत सुन्दर, सार्थक रचना !
    सादर !

    ReplyDelete