जाने कितने ख़त लिखे मैंने तेरी याद में
एक तू है जिसे पढने की फुर्सत नहीं है
एक अरशा हो गया तेरा शहर छोड़े हुए
और तुझे खबर लेने की फुर्सत नहीं है
जालिम ना कहूँ तो क्या कहूँ तुझे
रफाकत करता है निभाने की फुर्सत नहीं है
दोस्ती मेरी जैसी ना मिलेगी जमाने में तुझे
मै हर फर्ज अदा करती हूँ तू कह फुर्सत नहीं है
क़ज़ा जब मेरा पता पूछने आई ,उसने कहा
वो "प्रेम" है मेरी तू जा अभी,अभी फुर्सत नहीं है
एक तू है जिसे पढने की फुर्सत नहीं है
एक अरशा हो गया तेरा शहर छोड़े हुए
और तुझे खबर लेने की फुर्सत नहीं है
जालिम ना कहूँ तो क्या कहूँ तुझे
रफाकत करता है निभाने की फुर्सत नहीं है
दोस्ती मेरी जैसी ना मिलेगी जमाने में तुझे
मै हर फर्ज अदा करती हूँ तू कह फुर्सत नहीं है
क़ज़ा जब मेरा पता पूछने आई ,उसने कहा
वो "प्रेम" है मेरी तू जा अभी,अभी फुर्सत नहीं है
neelu.prem@facebook.com
दोस्ती मेरी जैसी ना मिलेगी जमाने में तुझे
ReplyDeleteमै हर फर्ज अदा करती हूँ तू कह फुर्सत नहीं है
--------------------------------
दिल का दर्द भी और मन का फर्ज भी ....जो देखना है ..देख लो ..मगर देख लो ......
Rahul jee hardik shukriya abhar
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteLATEST POSTसपना और तुम
Kalipad jee hardik abhar aapka,,,,
Deletevaah vaah vaah bahut khoobsoorat rachana man ko bha gayi
ReplyDeleteVandhana jee hardika abhar apka
DeleteDr Swarupchandra jee aapka bahut bahut shukriya evm abhar,,,,,,,jo aapne meri kavita ko mangalwariy charch ka vishay banaaya .........abhar
ReplyDeleteDr. Monika jee hirdhay se apka shukriya abhar
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर उम्दा प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeletekuldeep jee bahut bahut shukriya apka ,,,,,,,,intjar karungi ,,,,,,,,,
ReplyDeleteRajendera Kumar jee apka bahut bahut abhar
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नज़्म लिखी है आपने। आज के इंसान को फुर्सत ही तो नहीं है। फुर्सत हो तो कितने दर्द कम हो जाएं।
ReplyDeleteबधाई आपको!
बहुत सुंदर रचना .....सब अपनी अपनी भाग दोड़ में व्यस्त है....
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर रचना निर्झर टाइम्स (http://nirjhar-times.blogspot.com) पर लिंक की गयी है और शनिवार दिनांक 13-4-2013 के अंक में प्रकाशित की जाएगी। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
ReplyDeleteजाने कितने ख़त लिखे मैंने तेरी याद में
ReplyDeleteएक तू है जिसे पढने की फुर्सत नहीं है.....बेहद ही खूब वाह !!