Saturday, April 20, 2013

कसमसाता बदन रहा मेरा..........देवी नागरानी


 

कसमसाता बदन रहा मेरा
चूम दामन गई हवा मेरा




मुझको लूटा है बस खिज़ाओं ने
गुले दिल है हरा भरा मेरा



तन्हा मैं हूँ, तन्हा राहें भी
साथ तन्हाइयों से रहा मेरा



खोई हूँ इस कद्र ज़माने में
पूछती सबसे हूँ पता मेरा



आईना क्यों कुरूप इतना है
देख उसे अक्स डर रहा मेरा



मेरी परछाई मेरे दम से है
साया उसका, कभी बड़ा मेरा



मैं अंधेरों से आ गया बाहर
जब से दिल और घर जला मेरा



जिसने भी दी दुआ मुझे देवी
काम आसान अब हुआ मेरा


--देवी नागरानी

10 comments:

  1. मेरी परछाई मेरे दम से है
    साया उसका, कभी बड़ा मेरा .......।
    बहुत खूब !
    बहुत सुंदर !!

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  2. तन्हा मैं हूँ, तन्हा राहें भी
    साथ तन्हाइयों से रहा मेरा

    बहुत सुन्दर ...
    बधाई एवं शुभकामनायें ...

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  3. "खोई हूँ इस कद्र ज़माने में
    पूछती सबसे हूँ पता मेरा"........बहुत ही सुंदर भाव

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  4. bahut sundar Lekhan...
    मेरी परछाई मेरे दम से है
    साया उसका, कभी बड़ा मेरा

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  5. मेरी परछाई मेरे दम से है
    साया उसका, कभी बड़ा मेरा


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