घर से बाहर निकला कर
दुनिया को भी देखा कर
फसलें काट बुराई की
अच्छाई को बोया कर
नेकी डाल के दरिया में
अपने आपसे धोखा कर
सबको पढ़ता रहता है
अपने आप को समझाकर
बूढ़े बरगद के नीचे
दिल टूटे तो बैठा कर
मेहफिल-मेहफिल हंसता है
तनहाई में रोया कर
दुनिया पीछे आएगी
देख तो दुनिया ठुकराकर
पढ़के सब कुछ सीखेगा
देख के भी कुछ सीखा कर
दुश्मन हों या दोस्त 'अजीज'
सबको अपना समझा कर।
--अजीज अंसारी
दुनिया पीछे आएगी
ReplyDeleteदेख तो दुनिया ठुकराकर...
behtareen.. umda
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ...!
ReplyDeletesunadar rachna,mahashivrati ki hardik mangal kamna
ReplyDeleteसुन्दर कविता |
ReplyDeletebadiya -**
ReplyDelete:) पढ़के सब कुछ सीखेगा
ReplyDeleteदेख के भी कुछ सीखा कर
bahut bahut badhiya ghazal hai.