Wednesday, March 20, 2013

उन यादों को मैं क्यूं भूलूं मैं..................प्रीति सुराना




शिकवे क्यूं करूं मै जमाने से,जो जख्म दिए हैं सह लूंगी,
मेरी किस्मत है यही,ये सोच के मैं,गम के पैमाने पी लूंगी,

उन यादों को मैं क्यूं भूलूं मैं,
जिसने जीने का अरमान दिया,
कुछ भूलना ही है जरूरी तो मैं,
इस जालिम दुनिया को भूलूंगी,

गम का दामन क्यूं छोड़ूं मैं,
गम ही तो मुझे नई खुशियां देंगे,
जिसने हैं दिए मुझको ये गम,
उन खुशियों का दामन छोड़ूंगी,

फूलों का चमन न दो मुझको,
जो डाली से गिरे मुरझा जाए,
टूट के भी जो चुभते है,
उन कांटों के शहर में रह लूंगी,

मुझे मालूम है ये आसान नहीं,
मैं मांगूं जो,वो मिल ही जाए,
जो वो न मिले तो मौत मिले,
कुछ पाने के बहाने जी लूंगी,

शिकवे क्यूं करूं मै जमाने से,
जो जख्म दिए हैं सह लूंगी,
मेरी किस्मत है यही,
ये सोच के मैं,गम के पैमाने पी लूंगी,

......प्रीति सुराना

16 comments:


  1. सुनदरअभिव्यक्ति, मुझे मालूम है ये आसान नहीं,
    मैं मांगूं जो,वो मिल ही जाए,
    जो वो न मिले तो मौत मिले,
    कुछ पाने के बहाने जी लूंगी,

    शिकवे क्यूं करूं मै जमाने से,
    जो जख्म दिए हैं सह लूंगी,
    मेरी किस्मत है यही,
    ये सोच के मैं,गम के पैमाने पी लूंगी,

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  2. सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    भरी हुई हैं ग़ज़ल में, जीवन की कुछ याद।
    आता है इनमें मुझे, खट्टा-मीठा स्वाद।।
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा आज चर्चा मंच पर भी है।
    सादर... सूचनार्थ!
    http://charchamanch.blogspot.in/2013/03/1189.html

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    1. mujhe charcha manch par ye rachna nahi dikhi,.. :(

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    2. प्रीति बहन
      जय जिनेन्द्र,
      आपके ही नाम से है
      मेरा अथवा मेरी धरोहर का नाम नहीं है
      सादर
      यशोदा

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  3. गम का दामन क्यूं छोड़ूं मैं,
    गम ही तो मुझे नई खुशियां देंगे,
    जिसने हैं दिए मुझको ये गम,
    उन खुशियों का दामन छोड़ूंगी,
    -------------------------
    bahut hi sundar ...

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  4. bahut bahut aabahar apka yashoda ji,...:)

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.

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  6. आभार उत्कर्ष प्रस्तुति

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    एक शाम तो उधार दो

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  7. सुंदर और भावुक रचना ...सच है ....जो गम ख़ुशी का बायस बने उनको याद करना बेहतर है ...
    आपके स्वागत में मेरी रचना ....
    यात्रा ...भोर तक

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  8. प्यारी सी रचना

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