Wednesday, March 6, 2013

नयन ही नयनों से खेलन लगे हैं रास...............अलका गुप्ता


पूरण करे प्रकृति अभिमंत्रित काम ये काज |
सृष्टि निरंतर प्रवाहित होवे निमित्त यही राज ||
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हाय ! कौन आकर्षण में
बींध रहा है ...मन आज |
नयन ही नयनों से
खेलन लगे हैं रास ||

घायल हुआ मन...अनंग
तीक्ष्ण वाणों से आज |
टूट गए बन्धन ...लाज
गुंफन के सब फांस ||

करने लगे..... झंकृत...
मधुर श्वासों को सुर ताल |
होने लगे मधुराग
गुंजित..... अनायास ||

करने लगे अठखेलियाँ-
यक्ष - यक्षिणी आज |
रचने लगे तप्त अधरों से -
गीत बुन्देली.....कुछ ख़ास ||

सिमटने लगे तम की चादर में
पर्व आलिंगनों के अपार |
विस्मृत तन-मन हुए... आत्मा -
-अविभूत अद्भुत हास विन्यास ||

सो गया फिर....वह कुशल गन्धर्व !
क्षन - उसी - वीणा के पास |
अमर हो गया वह...स्वर्णिम
भीगा -भीगा सा मधुमासी इतिहास ||

---अलका गुप्ता

https://www.facebook.com/alka.gupta.777

13 comments:

  1. वाह... सुबह-सुबह ब्लॉग की खिड़की खोलते ही मन भावन समीर का झोंका ....

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपको .....भाव पसंद आए एवं यशोदा जी का भी जिहोने मेरी इस रचना को इतना मान दिया

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  2. khoobshurat ahshas सिमटने लगे तम की चादर में
    पर्व आलिंगनों के अपार |
    विस्मृत तन-मन हुए... आत्मा -
    -अविभूत अद्भुत हास विन्यास ||

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपको .....भाव पसंद आए एवं यशोदा जी का भी जिहोने मेरी इस रचना को इतना मान दिया

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,सदर आभार.

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका एवं यशोदा जी का भी

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल गुरूवार (07-03-2013) के “कम्प्यूटर आज बीमार हो गया” (चर्चा मंच-1176) पर भी होगी!
    सूचनार्थ.. सादर!

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका एवं यशोदा जी का भी

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  5. waah,,,,,, bahut sundar rachna ,,,padh kar man mugdh ho gaya,,,,,,badhai

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  6. बहुत ही प्यारी रचना.

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  7. वाह...
    बहुत सुन्दर रचना....

    बधाई अलका जी..
    शुक्रिया यशोदा.
    सस्नेह
    अनु

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