थोड़ी झूठी है, थोड़ी सच्ची है
हाँ ! मगर बात बहुत अच्छी है
मैं तेरी उम्र बताऊँ कैसे
थोड़ी पक्की है, थोड़ी कच्ची है
तू है कैसी मैं कह नहीं सकता
तेरी तस्वीर बहुत अच्छी है
एक सिक्का है ज़िन्दगी अपनी
है कभी सन तो कभी मच्छी है
उसको मारो न जन्म से पहले
ये तो सोचो तुम्हारी बच्ची है
अन्सार कम्बरी
तू है कैसी मैं कह नहीं सकता
ReplyDeleteतेरी तस्वीर बहुत अच्छी है ....
nice presentation
ReplyDeleteसुंदर रचना .........
ReplyDeleteसाभार.....
सुंदर रचना..
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति. सच कहा आपने
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना
एक शाम तो उधार दो
सुन्दर प्रस्तुतीकरण.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना..
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