ओस की हर बूंद को छू कर देखा था कई बार... कच्चे प्यार की तरह विलीन हो गई, सुंदर कविता है ... आदरणीया यशोदा जी नमस्कार ! फाल्गुनीजी को बधाई और आभार पहुंचा दीजिएगा ...... !
आप सब को सपरिवार होली की बहुत बहुत बधाई ! हार्दिक शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित… -राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''..इन्कलाब जिन्दाबाद ..''
बहुत कोमल और निश्चल .एहसास
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.
ReplyDelete"स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल:कुछ उपयोगी नुस्खें"
वाह! बहुत-बहुत सुंदर!
ReplyDeleteछोटी सी रचना कितना कुछ कह गयी...वो भी इतनी खूबसूरती से.....
~सादर!!!
ओंस की हर बूंद को
ReplyDeleteछू कर देखा था कई बार
कच्चे प्यार की तरह विलीन हो गई
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वाह ..अद्भुत ..
♥
ओस की हर बूंद को
छू कर देखा था कई बार...
कच्चे प्यार की तरह विलीन हो गई,
सुंदर कविता है ...
आदरणीया यशोदा जी
नमस्कार !
फाल्गुनीजी को बधाई और आभार पहुंचा दीजिएगा ...... !
आप सब को सपरिवार होली की बहुत बहुत बधाई !
हार्दिक शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteपधारें " चाँद से करती हूँ बातें "
अद्भुत,बहुत सुन्दर होली की बहुत बहुत बधाई
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