मिलता है मगर बिछड़ने की शर्त पर,
जिंदा तो है मगर मरने की शर्त पर |
जिंन्दगी तेरी अदा है या बेबसी मेरी,
हौसला मिलता है मगर डरने की शर्त पर |
जिंदा तो है मगर मरने की शर्त पर…
पल दो पल से ज़्यादा कहीं भी रुकता नहीं,
वक्त अच्छा आता है गुजरने की शर्त पर |
जिंदा तो है मगर मरने की शर्त पर…
ये रिहाई भी क्या कोई रिहाई है सितमगर,
परिंदा आज़ाद किया पंख कतरने की शर्त पर |
जिंदा तो है मगर मरने की शर्त पर….
फिर किस बात का भरोसा करिये ‘वीर’,
वो वादा भी करते हैं मुकरने की शर्त पर |
-वीर
http://veeransh.com/ghazal/
पल दो पल से ज़्यादा कहीं भी रुकता नहीं,
ReplyDeleteवक्त अच्छा आता है गुजरने की शर्त पर
अधूरे सपने को
पूरा करने को
कह कर जाता है ?
दीदी
Deleteप्रणाम
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसाभार.........
जिंन्दगी तेरी अदा है या बेबसी मेरी ...
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अच्छे भाव ... चोटिल सपनों का जख्म टटोलती रचना ..
प्यार शर्तो पर होने लगा है
ReplyDeleteशानदार |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
शुक्रिया यशोदा मेरी कविता को पसंद करने के लिए
ReplyDeleteये नज़्म पढ़ी . बहुत सुन्दर लिखा है .. बधाई स्वीकार करिए
ज़िन्दगी के कई शेड्स है इसमें. शब्द भावपूर्ण है .
विजय
www.poemsofvijay.blogspot.in
बहुत खूब आपके भावो का एक दम सटीक आकलन करती रचना
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?