Sunday, July 17, 2016

औरतें.................. मंजू मिश्रा






औरतें 
पहले भी दोयम थीं 
आज भी दोयम ही हैं 
पढ़ी लिखी हों 
या बेपढ़ी

अक्सर 
देखा है कि 
घर के बाहर 
एकदम टिप-टॉप... 
स्त्री विमर्श की बातों का 
पुलंदा बांधे 
बहस मुबाहिसे के 
जिरह-बख्तर से लैस 
औरतों के हक़ पर 
जोशीला भाषण देने वाली 
टीवी और फिल्मों में 
नारी स्वातंत्र्य पर 
धधकती हुयी विचारधारा 
प्रस्तुत करने वाली औरतें भी 

मानें या न मानें
मगर जादातर
घर की दहलीज से अंदर आते ही 
दोयम के खोल में ही
लिपट जाती हैं

-मंजू मिश्रा

मूल रचना

11 comments:

  1. Replies
    1. धन्यवाद सुशील कुमार जी

      मंजु मिश्रा
      www.manukavya.wordpress.com

      Delete
  2. बहुत बहुत धन्यवाद रूपचन्द्र शास्त्री जी !

    मंजु मिश्रा
    www.manukavya.wordpress.com

    ReplyDelete
  3. अगर यही नारी की हकीकत है तो इससे स्वयं ही बाहर आना होगा उसे ... अपने आप को जनना होगा उसे ...

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  5. आपके द्वारा दी गई रचना अत्यन्त प्रभावी है । वर्तमान में भी महिलाओं की स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं है। और हमें इस पर मिल कर काम करना चाहिए । अगर यदि आप के पास भी रचनाएं है और आप अपनी रचनाओं भी प्रकाशित करना चाहते है तो आप उन्हेंhttps://shabd.in पर भी जाकर लिख सकते है और दुनिया के सामने रख सकते है ।

    ReplyDelete
  6. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  7. women's are same types when she reached at home then changed her attitude.

    http://dell-laptop-support-number.co.uk/

    ReplyDelete
  8. women's heritage is one of the most important role to play in the life and you said is true so thank's to sharing this article.

    outlook support

    ReplyDelete