औरतें
पहले भी दोयम थीं
आज भी दोयम ही हैं
पढ़ी लिखी हों
या बेपढ़ी
अक्सर
देखा है कि
घर के बाहर
एकदम टिप-टॉप...
स्त्री विमर्श की बातों का
पुलंदा बांधे
बहस मुबाहिसे के
जिरह-बख्तर से लैस
औरतों के हक़ पर
जोशीला भाषण देने वाली
टीवी और फिल्मों में
नारी स्वातंत्र्य पर
धधकती हुयी विचारधारा
प्रस्तुत करने वाली औरतें भी
मानें या न मानें
मगर जादातर
घर की दहलीज से अंदर आते ही
दोयम के खोल में ही
लिपट जाती हैं
-मंजू मिश्रा
मूल रचना
सही कहा
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deleteसटीक
ReplyDeleteधन्यवाद सुशील कुमार जी
Deleteमंजु मिश्रा
www.manukavya.wordpress.com
बहुत बहुत धन्यवाद रूपचन्द्र शास्त्री जी !
ReplyDeleteमंजु मिश्रा
www.manukavya.wordpress.com
अगर यही नारी की हकीकत है तो इससे स्वयं ही बाहर आना होगा उसे ... अपने आप को जनना होगा उसे ...
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ReplyDeleteआपके द्वारा दी गई रचना अत्यन्त प्रभावी है । वर्तमान में भी महिलाओं की स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं है। और हमें इस पर मिल कर काम करना चाहिए । अगर यदि आप के पास भी रचनाएं है और आप अपनी रचनाओं भी प्रकाशित करना चाहते है तो आप उन्हेंhttps://shabd.in पर भी जाकर लिख सकते है और दुनिया के सामने रख सकते है ।
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ReplyDeletewomen's are same types when she reached at home then changed her attitude.
ReplyDeletehttp://dell-laptop-support-number.co.uk/
women's heritage is one of the most important role to play in the life and you said is true so thank's to sharing this article.
ReplyDeleteoutlook support