सावन की रिमझिम में झूमती उमंग
बदली भी झूम रही बूँदों के संग।
खिड़की पर झूल रही जूही की बेल
प्रियतम की आँखों में प्रीति रही खेल,
साजन का सजनी पर फैल गया रंग।
पुरवाई आँगन में झूम रही मस्त
आतंकी भँवरों से कलियाँ है त्रस्त,
लहरा के आँचल भी करता है तंग।
सागर की लहरों पर चढ़ आया ज्वार
रजनी भी लूट रही लहरों का प्यार,
शशि के सम्मोहन का ये कैसा ढंग।
-रजनी मोरवाल
बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28 . 07. 2016 को चर्चा मंच पर
ReplyDeleteचर्चा - 2417 में दिया जाएगा
धन्यवाद
गीत में निखरा सावन का सौंदर्य ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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