Wednesday, July 27, 2016

झूमती बदली............रजनी मोरवाल



सावन की रिमझिम में झूमती उमंग 
बदली भी झूम रही बूँदों के संग।
खिड़की पर झूल रही जूही की बेल
प्रियतम की आँखों में प्रीति रही खेल, 
साजन का सजनी पर फैल गया रंग।

पुरवाई आँगन में झूम रही मस्त
आतंकी भँवरों से कलियाँ है त्रस्त,
लहरा के आँचल भी करता है तंग।

सागर की लहरों पर चढ़ आया ज्वार
रजनी भी लूट रही लहरों का प्यार,
शशि के सम्मोहन का ये कैसा ढंग।

-रजनी मोरवाल

5 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28 . 07. 2016 को चर्चा मंच पर
    चर्चा - 2417
    में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  2. गीत में निखरा सावन का सौंदर्य ।

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    https://www.facebook.com/MadanMohanSaxena

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