किसी से हंस के मिलने को मोहब्बत मत समझ लेना
कोई खामोश रहे तो अदावत मत समझ लेना
ये आती है तजुर्बों से, बुजुर्गों से ये मिलती है
किताबों के हवालों को ज़हानत मत समझ लेना
बुलाने से नहीं आते, ख़ुदा भिजवाता है इनको
जो आए घर कोई मेहमां, मुसीबत मत समझ लेना
शिकारी प्यार से दाना दिया करता है पंछी को
शिकारी की मोहब्बत को इनायत मत समझ लेना
जो लटकाता है फ़ांसी पर वो पहले पैर छूता है
किसी के झुक के मिलने को शराफत मत समझ लेना
कोई खामोश रहे तो अदावत मत समझ लेना
ये आती है तजुर्बों से, बुजुर्गों से ये मिलती है
किताबों के हवालों को ज़हानत मत समझ लेना
बुलाने से नहीं आते, ख़ुदा भिजवाता है इनको
जो आए घर कोई मेहमां, मुसीबत मत समझ लेना
शिकारी प्यार से दाना दिया करता है पंछी को
शिकारी की मोहब्बत को इनायत मत समझ लेना
जो लटकाता है फ़ांसी पर वो पहले पैर छूता है
किसी के झुक के मिलने को शराफत मत समझ लेना
-हबीब कैफी
प्राप्ति स्रोतः हेल्थ, पत्रिका
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04-09-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1726 में दिया गया है
ReplyDeleteआभार
उम्दा ग़ज़ल।
ReplyDeleteati sundar .....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
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