मैंने
कागज पर लकीरें खिचीं
डाल बनाई
पत्ते बनाए
अब कागज पर
चित्र लिखित सा पेड़ खड़ा है
पेड़ ने कहा
यह मैं हूं
मुझ पर काले अक्षरों की दुनिया रचकर
किसे बदलना चाहते हो
मैंने
रंगों से कपड़ों में
कुछ लकीरें खींचीं
डाल बनाई
पत्ते बनाए
अब
कपड़े पर छपा पेड़ है
पेड़ ने कहा
यह मैं हूं
मुझे नंगा कर
किसे ढंकना चाहते हो
यह जो तुम हो
पेड़ ने कहा
यह भी मैं हूं
सांसों पर रोक लगाकर
किसे जीवित रखना चाहते हो।
-सुधीर कुमार सोनी
प्राप्ति स्रोतः काव्य संसार, वेब दुनिया
Bahut sundar bhav
ReplyDeleteजीवंत करती सुन्दर रचना
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (21-09-2014) को "मेरी धरोहर...पेड़" (चर्चा मंच 1743) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चेतावनी...
ReplyDeleteसुंदर,पर्यावरण के प्रति हम सब को संवेदनशील रह कर ही स्वम को जीवित रख पाएंगे.
ReplyDeleteएक महत्वपूर्ण सन्देश बहुत ही नायाब अंदाज़ में...वाह
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति......
ReplyDeleteBhaawpurn abhivyakti....!!
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर
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