Thursday, March 15, 2018

प्रलय का सब समां बांधे....डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन जी



अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है? 

गगन में गर्व से उठउठ, गगन में गर्व से घिरघिर,
गरज कहती घटाएँ हैं, नहीं होगा उजाला फिर,
मगर चिर ज्योति में निष्ठा जमाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

प्रलय का सब समां बांधे, प्रलय की रात है छाई,
विनाशक शक्तियों की इस, तिमिर के बीच बन आई,
मगर निर्माण में आशा दृढ़ाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

प्रभंजन, मेघ दामिनी ने, न क्या तोड़ा, न क्या फोड़ा,
धरा के और नभ के बीच, कुछ साबित नहीं छोड़ा,
मगर विश्वास को अपने बचाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है 
-डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन जी
सौजन्यः सखी कुसुम कोठारी

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (16-03-2017) को "मन्दिर का उन्माद" (चर्चा अंक-2911) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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