Saturday, January 16, 2016

हो गया यार वो बरी कैसे.......कुँवर कुसुमेश


रस्मे-दुनिया उलट गई कैसे। 
बर्फ़ में आग ये लगी कैसे।

वो न आये,तो कौन आया है ?
हो गई शाम सुरमई कैसे ?

वो है इल्मे-अदब से नावाक़िफ़,
कर रहा फिर भी शायरी कैसे ?

जेल से छूटने लगे मुल्ज़िम,
हो गया यार वो बरी कैसे।

ज़िन्दगी में अजीब हलचल है,
कट रही फिर भी ज़िन्दगी कैसे।

प्यार का अब सुबूत क्या माँगूं,
तुमने देखा, लिपट गई कैसे।

शेर मैंने "कुँवर" कहा था जो,
कह गया शेर वो वही कैसे।


-कुँवर कुसुमेश

2 comments:

  1. आपको मेरी ग़ज़ल पसंद आई...मेरा हौसला बढ़ा ... बहुत बहुत शुक्रिया आपका, यशोदा बहन

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  2. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल

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