सिमट रहे हैं
कुछ लम्हे उसके आगोश में
कुछ उस तक
पहुँचने की फि़राक़ में हैं
कुछ कद के छोटे हैं
तो दबे हैं भीड़ में
पर सब साथ हैं उसके
क्यूं कि उसने सबको
कुछ न कुछ दिया है !
..
खुशियों और गम के आँसू
झिलमिलाये हैं उसकी पलकों पर भी
अतीत के पन्नों में कैद हो
इससे पहले वो
कहना चाहता है तुम्हे
मुबारक हो नया साल
जो मिला उसे तक़दीर समझना
जो चाहते हो
उसके लिये दुआयें हैं मेरी
उम्मींदों की पोटली है मेरे काँधे पे
दिन तारीख वर्ष
फिर गवाह बनेंगे
इन्ही शुभकामनाओं के साथ
मेरा हर दिन लम्हा
तुम्हारे लिये है !!
-सीमा सदा
उत्कृष्ट प्रस्तुती, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुती,आपको सपिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteAabhhhhar aapka....
ReplyDeleteदीदी
Deleteनमन
ऩव वर्ष की मंगल कामनाएँ। सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeletebehad sundar
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