Tuesday, December 18, 2012

बस, थोड़े से बच जाया करो..........'फाल्गुनी'






 
तुम
सारा दिन रहा करो
सबके पास
सबके लिए
पर
सांझ के आंचल में
स्लेटी रंग उतरते ही
और
रात की
भीनी आहट के साथ ही
बचे रह जाया करो
थोड़े से
मेरे लिए
ताकि मैं सो सकूं
इस विश्वास के साथ कि
तुम हो अब भी मेरे लिए..
मेरे साथ..
मेरे पास...
ज्यादा नहीं मांगती मैं तुमसे
बस, बच जाया करो
बहुत थोड़े से
सांझ और रात के दरम्यान
मेरे लिए, मेरे प्यार के लिए...
वह प्यार
जो बस तुम्हारे लिए
आता है मेरे मन में
और सुबह के बाद
तुम्हारे ही साथ

पता नहीं कहां
चला जाता है
तुम्हारी व्यस्तताओं में उलझकर,
शाम होते ही
बस थोड़े से
बहुत थोड़े से
बच जाया करो मेरे लिए...
ताकि मैं देख सकूं
सतरंगी सपने
दुनिया की कालिमा पर
छिड़कने के लिए। 

--स्मृति जोशी 'फाल्गुनी'

11 comments:

  1. bahut khoob. ताकि मैं देख सकूं
    सतरंगी सपने

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (19-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | अवश्य पधारें |सूचनार्थ |

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  3. अपनी दिल की बात कहने का प्यार अंदाज ,लाजवाब

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    1. शुक्रिया संगीता बहन

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  4. मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......

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  5. यशोदा जी आपके द्वारा दी गयी प्रस्तुती हमेशां ही लाजवाब होती है स्मृति जोशी 'फाल्गुनी' जी की ये रचना बहुत अच्छी है। प्यार जताने का एक अलग अंदाज ... बहुत खूब।

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    1. पाठिका हूँ
      पढ़ती हूँ
      अच्छी रचनाएँ यहाँ संजोकर रख लेती हूँ

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  6. ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

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