जिंदगी में इस तरह आप,
ना कभी रोना सीखिए,
जिस तरह की दे रब जिंदगी,
उसे जीना सीखिए ।
फूलों की सी सेज होती नहीं है,
हर वक्त जिंदगी ,
ग़म, बेबसी, काँटे तो क्या,
गले लगाना सिखिये ।
ना कभी रोना सीखिए,
जिस तरह की दे रब जिंदगी,
उसे जीना सीखिए ।
फूलों की सी सेज होती नहीं है,
हर वक्त जिंदगी ,
ग़म, बेबसी, काँटे तो क्या,
गले लगाना सिखिये ।
त्याग समर्पण भी है जरूरी
एक सच्चे प्यार में ,
प्यार पाने से पहले,
प्यार को खोना भी सीखिए।
बेवफाई ,आंसू,उदासी गर,
दे गया वो तो ग़म नही,
इश्क में चलता है ये सब,
स्वीकार करना सीखिए।
काँटे भी चुभेंगे दामन में,
अगर करोगे प्यार तुम,
ये सब चाहते नही ज़नाब,
फिर दूर रहना सीखिए।
-सुरेश अग्रवाल 'अधीर'
जीवन को सुख-दुःख की समरसता के साथ जीने की सीख देती एक खूबसूरत रचना,इश्वर का दिया यह जीवन अपने हर रूप सुंदर है बस समझने वाली दृष्टि चाहिए ---धन्यवाद
ReplyDeleteआभार पूनम बहन
Deleteकाँटे भी चुभेंगे दामन में.....
ReplyDeleteजिन्दगी को ख़ूबसूरती से बयाँ करती रचना...
स्वागतम राहुल भाई
Deleteखूबसूरत रचना. जिंदगी में इस तरह आप,
ReplyDeleteना कभी रोना सीखिए,
जिस तरह की दे रब जिंदगी,
उसे जीना सीखिए ।
फूलों की सी सेज होती नहीं है,
हर वक्त जिंदगी ,
ग़म, बेबसी, काँटे तो क्या,
गले लगाना सिखिये ।
आभार सुरेश भाई का
Deleteजो ये रचना मेरे ब्लाग मे पोस्ट हुई
yashoda , di...apke sneh se abhibhut hu ...bigad jayega apka bhai ...sukriya apka ...
ReplyDeleteस्वीकार करना सीखिये..........
Deleteबुध की पोस्ट मे डालना था
सो इसे ही पोस्ट कर दी मैं
yashoda , di...apke sneh se abhibhut hu ...bigad jayega apka bhai ...sukriya apka ...
ReplyDeleteBeautiful Poem...
ReplyDeleteत्याग समर्पण भी है जरूरी
ReplyDeleteएक सच्चे प्यार में ,
प्यार पाने से पहले,
प्यार को खोना भी सीखिए।
बहुत सुन्दर सन्देश
ReplyDeleteबढ़िया गजल संवाद करती आसपास से स्वगत कथन का अतिक्रमण करती हुई .
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
ReplyDeleteयों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि
ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।
दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।
Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.
May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!
शुभ कामनाएँ आपको भी
Deleteआभार
बहुत भावपूर्ण रचना |नव वर्ष शुभ और मंगल माय हो |
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति ..
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनायें
बेवफाई ,आंसू,उदासी गर,
ReplyDeleteदे गया वो तो ग़म नही,
इश्क में चलता है ये सब,
स्वीकार करना सीखिए।
आय ... हाय हाय क्या गजब लिख दिए हो ...एक भुगतभोगी ही ऐसा लिख सकता हैं।
यशोदा जी आपका बहुत बहुत आभार !!
यहाँ पर आपका इंतजार रहेगा शहरे-हवस