बीतते दिन का अम्मा पल-पल
जीवन जख्मी, अम्मा संदल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
जीवन जख्मी, अम्मा संदल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
बात कड़ी है, अम्मा कोयल
कठिन घड़ी है अम्मा हलचल
चोट है छोटी, अम्मा पागल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
धूल का बिस्तर, अम्मा मखमल
धूप की रोटी, अम्मा छागल
ठिठुरी रातें, अम्मा कंबल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
चांद कटोरी, अम्मा चावल
खीर-सी मीठी अम्मा हर पल
जीवन निष्ठुर अम्मा संबल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
--सहबा जाफ़री
very nice poem,sahba
ReplyDeleteall lines show mom is so important
your topic choice is excellent
chosen words look so touching
contrast of feelings is superb
say my salaam to your amma
i also love her like you
धूप घनी तो अम्मा बादल
छांव ढली तो अम्मा पीपल
गीली आंखें, अम्मा आंचल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
सुंदर भाव और सुंदर शब्दों से सजी रचना है …
अच्छा चित्रण !
बेहतर प्रस्तुति !
बधाई !