वह हरदम चहकती रहती,
बिंदास और बेबाक।
अन्याय
वह सहन कर ही नहीं सकती।
यही कहा है 'दामिनी'
के भाई ने।
'दामिनी' पूरे देश के लोगों
के लिए एक टीवी चैनल ने
यही नाम रखा है उस कन्या का।
दामिनी यानी बिजली।
जो वक्त पड़ने पर उजाला करती है,
और छेड़खानी करने पर विनाश भी।
ऊर्जा का वह स्त्रोत होती है
और रोशनी से भरपूर।
खुशी की बात यह है
कि इतना-इतना झेल लेने के बाद
भी वह टूटी नही,
झुकी नहीं, रूकी नहीं।
लड़ रही है
वह अपने आप से।
अपने कष्टों से
और अपने हर जख्म से।
--स्मृति आदित्य "फाल्गुनी"
आँख नम है
ReplyDeleteन्याय की माँग में
जुल्म देख
आभार दीदी
Deleteshabd nahi kuch bolne kay liye.....sooch kar ruh kampti hai.....bas itna hi bhagwan usay nyay aur sahas dey....uski jholi may ab koi dukh na dey......
ReplyDeleteशुक्रिया रेवा दीदी
Deleteऔर जीने की जिजीविषा ही बना रही है उसे विशेष .....दिल्ली जल रही है पर बलात्कारी रुके नहीं हैं ... आज भी देश के अलग अलग हिस्सों से बलात्कार की खबरें आ रही हैं .... शर्मनाक हाल हैं ।
ReplyDeleteआभार दीदी
Deleteshashkt post..........
ReplyDeleteआभार दीदी
Deleteबेहद मार्मिक...
ReplyDeleteभगवान दामिनी को शक्ति दे ..
और उन पापियों को कड़ी से कड़ी
सजा...
रीना बहन आभार
Deletebehatareen aur sarthak prastuti
ReplyDeleteआभार मधु बहन
Deleteदामिनी के ज़ज्बे को सलाम है.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteसादर
भाई
Deleteएक आलेख था कल के अखबार में स्मृति दीदी का
ये वही आलेख है हलके सम्पादन के साथ
सादर
बढ़िया सटीक ,सार्थक लेख ,नारी को जागना ही पढ़ेगा :
ReplyDeleteनई पोस्ट : "जागो कुम्भ कर्णों" , "गांधारी के राज में नारी "
'"क्या दामिनी को न्याय मिलेगी ?" ''http://kpk-vichar.blogspot.in, http://vicharanubhuti.blogspot.in
आभार कालीपद भाई
Deleteओर वो जल्दी ही पार पा लेगी इन सब से ... नमन है उसकी हिम्मत को ... सार्थक रचना ..
ReplyDeleteभैय्या दिगम्बर जी
Deleteआपकी वाणी में आज मैय्या सरस्वती बैठी हो
यह आग सबके सीने में बने रहे और दामिनी बन जुल्मियों पर गिरे यही मन में आता है बार,बार...
ReplyDeleteशुक्रिया कविता दीदी
Deleteकविता मन को छू गयी |
ReplyDeleteआशा |
आभार आशा आण्टी
Deleteदामिनी की यही जिजीविषा सबके लिए प्रेरणा व साहस का स्रोत है ... सोद्देश्य रचना !
ReplyDeleteशालिनी बहन आभार
Deleteअभी आपके बागीचे की सैर की है मैंने
बहुत सुंदर ... सोचा था दामिनी के बाद कोई और दामिनी के साथ ये सब ना हो ..पर अब भी रोज ना जाने कितनी दामिनी सरे बाज़ार यूँ बेआबरू की जा रही हैं ..आखिर कब तक ??/
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट की चर्चा कल 7/11/2015 को htttp://hindicharchablog.blogspot.com "हिंदी चर्चा ब्लॉग" पर की जाएगी ।
ReplyDeleteआपका स्वागत है ।
न्याय की प्रतीक्षा आखिर कब तक
ReplyDeleteसबका आभार
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