Monday, December 17, 2012

संजय शूलिका .....................संजय जोशी 'सजग'



शूलिका क्रमांक 01 से 05 का प्रकाशन पूर्व में कर चुकी हूँ

*[06] *
खनन
चल रहा है
सहन.....
करना होगा
मनन
पर्यावरण का
हो रहा है दमन
भ्रष्ट हो रहे है चमन .....

* [07] *
दिल मांगे मोर
ज्यादा मिले तो
हो जाता बोर .......
* [08] *
२०-२० याने
फटाफट क्रिकेट
तू चल में आया
हमे नही भाया
आस्ट्रेलिया ने
कैसा है धोया
भारत ने खोया
सम्मान है ......
.
* [09] *
मनुष्य के वेश
में
कई उल्लू है देश में
सच कहो आते तैश में
क्या करे ऐसे केस में

* [10] *
कतार
बन गई राष्ट्रीय
समस्या
इसमे लग कर
करनी पड़ती तपस्या
आशा उत्साह को
करती तार - तार
होता है यह बार -बार
.
----संजय जोशी 'सजग'

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