Monday, December 24, 2012

दामिनी यानी बिजली................."फाल्गुनी"












वह हरदम चहकती रहती,
बिंदास और बेबाक।
अन्याय
वह सहन कर ही नहीं सकती।
यही कहा है 'दामिनी'
के भाई ने।
'दामिनी' पूरे देश के लोगों
के लिए एक टीवी चैनल ने
यही नाम रखा है उस कन्या का।
दामिनी यानी बिजली।
जो वक्त पड़ने पर उजाला करती है,
और छेड़खानी करने पर विनाश भी।
ऊर्जा का वह स्त्रोत होती है
और रोशनी से भरपूर।

खुशी की बात यह है
कि इतना-इतना झेल लेने के बाद
भी वह टूटी नही,
झुकी नहीं, रूकी नहीं।
लड़ रही है
वह अपने आप से।
अपने कष्टों से
और अपने हर जख्म से। 


--स्मृति आदित्य "फाल्गुनी"

29 comments:

  1. आँख नम है
    न्‍याय की माँग में
    जुल्‍म देख

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  2. shabd nahi kuch bolne kay liye.....sooch kar ruh kampti hai.....bas itna hi bhagwan usay nyay aur sahas dey....uski jholi may ab koi dukh na dey......

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    1. शुक्रिया रेवा दीदी

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  3. और जीने की जिजीविषा ही बना रही है उसे विशेष .....दिल्ली जल रही है पर बलात्कारी रुके नहीं हैं ... आज भी देश के अलग अलग हिस्सों से बलात्कार की खबरें आ रही हैं .... शर्मनाक हाल हैं ।

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  4. बेहद मार्मिक...
    भगवान दामिनी को शक्ति दे ..
    और उन पापियों को कड़ी से कड़ी
    सजा...

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  5. दामिनी के ज़ज्बे को सलाम है.

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  6. बेहतरीन रचना


    सादर

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    1. भाई
      एक आलेख था कल के अखबार में स्मृति दीदी का
      ये वही आलेख है हलके सम्पादन के साथ
      सादर

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  7. बढ़िया सटीक ,सार्थक लेख ,नारी को जागना ही पढ़ेगा :
    नई पोस्ट : "जागो कुम्भ कर्णों" , "गांधारी के राज में नारी "
    '"क्या दामिनी को न्याय मिलेगी ?" ''http://kpk-vichar.blogspot.in, http://vicharanubhuti.blogspot.in

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  8. ओर वो जल्दी ही पार पा लेगी इन सब से ... नमन है उसकी हिम्मत को ... सार्थक रचना ..

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    1. भैय्या दिगम्बर जी
      आपकी वाणी में आज मैय्या सरस्वती बैठी हो

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  9. यह आग सबके सीने में बने रहे और दामिनी बन जुल्मियों पर गिरे यही मन में आता है बार,बार...

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    1. शुक्रिया कविता दीदी

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  10. कविता मन को छू गयी |
    आशा |

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  11. दामिनी की यही जिजीविषा सबके लिए प्रेरणा व साहस का स्रोत है ... सोद्देश्य रचना !

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    1. शालिनी बहन आभार
      अभी आपके बागीचे की सैर की है मैंने

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  12. बहुत सुंदर ... सोचा था दामिनी के बाद कोई और दामिनी के साथ ये सब ना हो ..पर अब भी रोज ना जाने कितनी दामिनी सरे बाज़ार यूँ बेआबरू की जा रही हैं ..आखिर कब तक ??/

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  13. आपकी इस पोस्ट की चर्चा कल 7/11/2015 को htttp://hindicharchablog.blogspot.com "हिंदी चर्चा ब्लॉग" पर की जाएगी ।
    आपका स्वागत है ।

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  14. न्याय की प्रतीक्षा आखिर कब तक

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