Friday, December 14, 2012

खीर-सी मीठी अम्मा हर पल..........सहबा जाफ़री



 

 धूप घनी तो अम्मा बादल 
छांव ढली तो अम्मा पीपल
गीली आंखें, अम्मा आंचल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
  





रात की आंखें अम्मा काजल 
बीतते दिन का अम्मा पल-पल
जीवन जख्मी, अम्मा संदल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल। 


बात कड़ी है, अम्मा कोयल
कठिन घड़ी है अम्मा हलचल
चोट है छोटी, अम्मा पागल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल। 


धूल का बिस्तर, अम्मा मखमल
धूप की रोटी, अम्मा छागल
ठिठुरी रातें, अम्मा कंबल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।

चांद कटोरी, अम्मा चावल
खीर-सी मीठी अम्मा हर पल
जीवन निष्ठुर अम्मा संबल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल। 

--सहबा जाफ़री

2 comments:

  1. very nice poem,sahba
    all lines show mom is so important
    your topic choice is excellent
    chosen words look so touching
    contrast of feelings is superb
    say my salaam to your amma
    i also love her like you

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  2. धूप घनी तो अम्मा बादल
    छांव ढली तो अम्मा पीपल
    गीली आंखें, अम्मा आंचल
    मैं बेकल तो अम्मा बेकल।


    सुंदर भाव और सुंदर शब्दों से सजी रचना है …

    अच्छा चित्रण !
    बेहतर प्रस्तुति !
    बधाई !

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