Monday, February 25, 2013

लौटकर कब आते हैं???????.........प्रीति सुराना




सपने हैं घरौंदे,
जो उजड़ जाते हैं,....
मौसम हैं परिन्दे,
जो उड़ जाते हैं,....



क्यूं बुलाते हो,
खड़े होकर बहते हुए पानी में उसे,....



बहता हुआ पानी
गुज़रे हुए दिन
और गए हुए लोग
लौटकर कब आते हैं???????.........



---प्रीति समकित सुराना
https://www.facebook.com/pritisamkit 
http://priti-deshlahra.blogspot.in/

25 comments:

  1. संतोष करना इतना आसान है ....।

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  2. एक शोर उठा पानी ....
    ------------------------
    एकदम सच लिखा आपने ..

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  3. "jab aave santosh dhan,sab dhan dhool saman"such hi likha hai aap ne ,

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  4. जो गुज़र गया उसका मलाल न कर , आने वाल कल की फरियाद न कर
    जी भर के जी ले आज को खुद से ज़रा तू प्यार तो कर

    नई पोस्ट

    रूहानी प्यार का अटूट विश्वास

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  5. sahi kaha...santosh hi kam aata hai bas

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  6. बहुत सही बात कही आपने। इस सुन्दर रचना के लिए बधाई रचयिता और प्रस्तुतकर्ता दोनों को।

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  7. भावपूर्ण अभिव्यक्ति | साधू साधू |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  8. सच है ..मन को मानना ही पड़ता है

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  9. बहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई

    आज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है

    ये कैसी मोहब्बत है

    खुशबू

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  10. आपकी कविता आपकी रचना निर्झर टाइम्स पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें http://nirjhar-times.blogspot.com और अपने सुझाव दें।

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  11. यशोदा दिग्विजय अग्रवाल .....ji bahut abhar apka,..apke share karne se mujhe sabka sneh mila,.. :)

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  12. bahut sundar rachna hai aapki :-)

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  13. बहुत खूबसूरत ....बहुत मार्मिक
    वो हलकी फुहार

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    1. शुक्रिया
      सादर
      यशोदा
      समय मिले
      तो इस जगह को
      विश्रामस्थली बनाएँ
      http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
      http://yashoda4.blogspot.in/
      http://4yashoda.blogspot.in/
      http://yashoda04.blogspot.in/

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  14. सच जाने वाले फिर कभी नहीं लौटते हैं ..
    लेकिन जाने के बाद वे सिर्फ दिल में बसते हैं दीखते नहीं है ..

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  15. बहता हुआ पानी
    गुज़रे हुए दिन
    और गए हुए लोग
    लौटकर कब आते हैं???????.........

    बहुत खूब
    सही कहा आपने
    लेकिन मानव मन ही कुछ ऐसा है
    सादर !

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  16. हाँ उन सबसे जुडी यादें अलबत्ता घेरे रहती हैं ......हर पहर ...!!!

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  17. मौसम हैं परिन्दे,
    जो उड़ जाते हैं,....WAAAAH!!!!!!!!!!

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  18. बहुत ही उम्दा कविता

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