हरे और जामुनी फूल
हर उस जगह
जहाँ छुआ था तुमने मुझे,
महक उठी थी केसर
जहाँ चूमा था तुमने मुझे,
बही थी मेरे भीतर नशीली बयार
जब मुस्कुराए थे तुम,
और भीगी थी मेरे मन की तमन्ना
जब उठकर चल दिए थे तुम,
मैं यादों के भँवर में उड़ रही हूँ
अकेली, किसी पीपल पत्ते की तरह,
तुम आ रहे हो ना
थामने आज ख्वाबों में,
मेरे दिल का उदास कोना
सोना चाहता है, और
मन कहीं खोना चाहता है
तुम्हारे लिए, तुम्हारे बिना।
मधुस्मृति में मन बार बार जाना चाहता है.अति सुन्दर एहसास
ReplyDeletelatest post पिंजड़े की पंछी
सुंदर रचना ....!!
ReplyDeleteशुभकामनायें ...
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कथ्य -
ReplyDeleteशुभकामनाएं ||
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteनज़रों ने नज़रों से नजरें मिलायीं
प्यार मुस्कराया और प्रीत मुस्कराई
प्यार के तराने जगे गीत गुनगुनाने लगे
फिर मिलन की ऋतू आयी भागी तन्हाई
दिल से फिर दिल का करार होने लगा
खुद ही फिर खुद से क्यों प्यार होने लगा
मन कहीं खोना चाहता है
ReplyDeleteतुम्हारे लिए ..
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एकदम मन के एहसास में भींगी हुई .. दिव्य ...
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteकोमल अभिव्यक्ति..
अनु
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''..महाकुंभ..''
बहुत सुन्दर वहा वहा क्या बात है अद्भुत, सार्थक प्रस्तुरी
ReplyDeleteमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteयशोदा बहन, अब आपका स्वास्थ्य कैसा है?
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है ......
ReplyDeleteसादर , आपकी बहतरीन प्रस्तुती
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?
ये कैसी मोहब्बत है