सपने हैं घरौंदे,
जो उजड़ जाते हैं,....
मौसम हैं परिन्दे,
जो उड़ जाते हैं,....
क्यूं बुलाते हो,
खड़े होकर बहते हुए पानी में उसे,....
बहता हुआ पानी
गुज़रे हुए दिन
और गए हुए लोग
लौटकर कब आते हैं???????.........
---प्रीति समकित सुराना
https://www.facebook.com/pritisamkit
http://priti-deshlahra.blogspot.in/
संतोष करना इतना आसान है ....।
ReplyDeleteएक शोर उठा पानी ....
ReplyDelete------------------------
एकदम सच लिखा आपने ..
"jab aave santosh dhan,sab dhan dhool saman"such hi likha hai aap ne ,
ReplyDeleteजो गुज़र गया उसका मलाल न कर , आने वाल कल की फरियाद न कर
ReplyDeleteजी भर के जी ले आज को खुद से ज़रा तू प्यार तो कर
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रूहानी प्यार का अटूट विश्वास
thanks
Deletesahi kaha...santosh hi kam aata hai bas
ReplyDeleteबहुत सही बात कही आपने। इस सुन्दर रचना के लिए बधाई रचयिता और प्रस्तुतकर्ता दोनों को।
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति | साधू साधू |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सच है ..मन को मानना ही पड़ता है
ReplyDeleteबहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
thanks
Deleteआपकी कविता आपकी रचना निर्झर टाइम्स पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें http://nirjhar-times.blogspot.com और अपने सुझाव दें।
ReplyDeletethanks
Deletethanks
ReplyDeleteयशोदा दिग्विजय अग्रवाल .....ji bahut abhar apka,..apke share karne se mujhe sabka sneh mila,.. :)
ReplyDeletebahut sundar rachna hai aapki :-)
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ....बहुत मार्मिक
ReplyDeleteवो हलकी फुहार
शुक्रिया
Deleteसादर
यशोदा
समय मिले
तो इस जगह को
विश्रामस्थली बनाएँ
http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
http://yashoda4.blogspot.in/
http://4yashoda.blogspot.in/
http://yashoda04.blogspot.in/
सच जाने वाले फिर कभी नहीं लौटते हैं ..
ReplyDeleteलेकिन जाने के बाद वे सिर्फ दिल में बसते हैं दीखते नहीं है ..
nice...
ReplyDeleteबहता हुआ पानी
ReplyDeleteगुज़रे हुए दिन
और गए हुए लोग
लौटकर कब आते हैं???????.........
बहुत खूब
सही कहा आपने
लेकिन मानव मन ही कुछ ऐसा है
सादर !
हाँ उन सबसे जुडी यादें अलबत्ता घेरे रहती हैं ......हर पहर ...!!!
ReplyDeleteBahut sundar rachna. Ghor yatharth.
ReplyDeleteमौसम हैं परिन्दे,
ReplyDeleteजो उड़ जाते हैं,....WAAAAH!!!!!!!!!!
बहुत ही उम्दा कविता
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