Monday, February 18, 2013

लड़ो कि तुमको लड़ना है..........माधवी श्री


लड़ो कि तुमको लड़ना है

लड़ कर जीने का हक हासिल करना है।

ये दुनिया जो तुम्हें गर्भ से

इस दुनिया में आने के लिए

प्रतिबंधित करती है

... आने के बाद हर पल

तुमसे तुम्हारे लड़की होने का

हिसाब मांगती है।

हिसाब देते-देते तुम्हारी जुबान

भले ही थक जाए,

पर उनके प्रश्न नहीं रूकते।

आओ इन प्रश्नों को बदल दें,

इन प्रश्न करनेवालों को बदल दें.

आओ लड़े कि

तुम्हें जीने का हक

हासिल करना है अपने लिए

अपने सुंदर कल के लिए।



--माधवी श्री

9 comments:

  1. लड़की किसी से कमजोर नहीं,कमजोर तो हम लोग करते हैं,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.

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  2. ओह ....बहुत सुंदर आह्वान ॥!!

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  3. बहुत अच्छी रचना एक आक्रोश भरी रचना
    मेरी नई रचना
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  4. बहुत खूबसूरत ,सार्थक रचना
    साभार









    बहुत खूबसूरत,सार्थक रचना ....
    साभार ....







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  5. क्या खूब कहा आपने वहा वहा क्या शब्द दिए है आपकी उम्दा प्रस्तुती
    मेरी नई रचना
    प्रेमविरह
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  6. बहुत खूब चुनोती देती रचना और ये चुनोती जायज

    मेरी नई रचना

    प्रेमविरह

    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  7. आओ लड़े कि
    तुम्हें जीने का हक
    हासिल करना है अपने लिए
    अपने सुंदर कल के लिए।
    ..बहुत सार्थक आह्वान....

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