
हमें परेशां करती है तुम्हारी बातें।
करती हैं मदहोश तुम्हारी प्यारी बातें।।
वो चौबारे पे खड़े होकर तकना तेरा।
और आँखों से ही कहना सारी बातें।।
कैसे भूल जाऊं मैं साथ बिताये पल।
पल दो पल में हो जाती थी सारी बातें।।
आस रहती थी ठहर जाये वक्त यही।
हो रही हो जब यूं हमसे हमारी बातें।।
नाम तेरा लेकर तसब्बुर में जिया करतें हैं।
याद आती है हमें यार तुम्हारी बातें।।
आज नशा जाम का नही इश्क का है।
गजल में लिख डाली मैने सारी बातें।।
-प्रीती श्री वास्तव
बेहद खूबसूरत
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 07 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08.10.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सुन्दर प्रस्तुति
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