Saturday, October 24, 2020

एक श्रृंगारिक हिंदी गज़ल ...माण्डवी


याद आते बहुत पर तुम आते नहीं,
क्या कभी हम तुम्हें याद आते नहीं।

याद में आपके दिल परेशान है,

आप तो अपना वादा निभाते नहीं।

याद आते रहे तुमको हम भी बहुत,

क्यों कभी तुम हमें यह बताते नहीं।

जान से भी वो ज्यादा मुझे चाहते,
प्यार अपना मगर वो जताते नहीं।

आपके प्यार में हम दीवाने हुए,
जानते तो हैं पर बोल पाते नहीं।
-माण्डवी




7 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 24 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत सुन्दर गजल...
    वाह!!!

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