यकीन मानिए
मैं बाजार नहीं गया था
मैं बाजार नहीं गया था
वरन् बाजार मेरे घर घुस गया
उसने बेचा मुझे बहुत कुछ
गैर-ज़रूरी
और ले गया
फ़ाख्ते
हरी घास
फुदकती गिलहरी
टिटहरी का आवाज
बगुलों का झुण्ड
फेरी वालों की पुकार
और बहुत कुछ...
कहते हैं सौदे में हमेशा
बाजार कमाता है
बाजार कमाता है
-नवीन कानगो
सुंदर।
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteमैं बाजार नहीं गया था
ReplyDeleteवरन् बाजार मेरे घर घुस गया
उसने बेचा मुझे बहुत कुछ
वाह!
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteBahut hi Sundar laga.. Thanks..
ReplyDeleteदिवाली पर निबंध Diwali Essay in Hindi
So Nice.. Bahut hi Sundar laga.. Thanks..
ReplyDeleteदिवाली पर निबंध Diwali Essay in Hindi
Happy Diwali Wishes Hindi | Deepavali Wishes | दिवाली शुभकामनाये
दिवाली पर कविता Diwali Kavita Poetry Poem in Hindi
दिवाली पर निबंध | Diwali Nibandh | Essay on Deepawali in Hindi
nice
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