तितली वह मेरी सबसे सुंदर
सबसे चमकीले पंखों वाली
फूल-फूल इतराती फिरती
मेरी ही बगिया में आकर
मेरे ही हाथों में ना आती
बहुत प्यार करता हूँ इससे
इसने प्यार की कद्र ना जानी
आजादी है प्रेम कोई बन्धन नहीं
कहती और झटसे ये उड़ जाती।
- शैल अग्रवाल
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 09 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अति सुंदर ।
अतिरेक प्रेम की सुंदर प्रस्तुति
सुन्दर
सुन्दर रचना प्यारी लगी
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 09 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअति सुंदर ।
ReplyDeleteअतिरेक प्रेम की सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर रचना प्यारी लगी
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