
अभी कुछ कुछ हुआ है उजाला
पर सवेरा होना बाकी है।
अभी मिली हैं आँखें उनसे
पर दिल मिलना बाकी है।
पेड़ों के अभी कुछ कुछ पत्ते झरे हैं
पर हरियाली अभी बाकी है।
अभी तो मैंने देखा है एक चाँद
पर उससे मुलाकात अभी बाकी है।
सुसख हवा चली है कुछ कुछ
पर गर्मी आना बाकी है।
अभी दो चार हुई हैं उनसे मुलाकातें
पर अभी प्यार होना बाकी है

-इश्तियाक अंसारी
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 26 अक्टूबर अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteवाह। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत सुंदर
achi jankari hai
ReplyDeletevery nice and effort
ReplyDeleteNice
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