Saturday, October 3, 2020

मुक़द्दर एक सा किसका हुआ है ...प्यासा अंजुम

1222,1222,122. 
मुफ़ाईलुन,मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन। 
बहरे हज़ज मुसद्दस महज़ूफ़

सभी कहते हरिक घर में ख़ुदा है।
हमारा सर तभी  हर दर झुका है।।

झुका सज़दे में सर है जिस भी दर पे।
सभी के  ही लिए  मांगी  दुआ है।।


ख़ुदा के बंदों से  कर लो मुहब्बत।
इबादत करने की यह भी अदा है।।


सभी को एक ही मंज़िल मिलेगी।
सफ़र  चाहे किया  सबने जुदा है।।

लिखा जाए जुदा सबका नसीबा।
मुक़द्दर एक सा किसका हुआ है।।

है दर किसका हमें क्या लेना देना।
हमें बस चाहिए सबका भला है।।

जुदा चाहे फ़लक के सब हैं"अंजुम"।
मगर इक सी लगे सबकी ज़िया है।।
-
-प्यासा अंजुम

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 03 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत सुंदर रचना।

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