Sunday, October 11, 2020

आस...शैल अग्रवाल

मेघ सांवरे उमड़े, बरसेंगे
खुशियों से आंचल भर देंगे

कोपल-कोपल मुस्काई धरती
फिरसे अंखुआए अहसासों में

चितवन रस में भीगे कांपे
दूरियाँ न रहीं अब राहों मे

आकाश सिमटते देखा है इसने
फुनगियों की नन्ही-सी बाहों में।

-शैल अग्रवाल

3 comments:

  1. वाह , बहुत बढ़िया लिखा है आपने🌻

    ReplyDelete
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 12 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete