Thursday, March 5, 2020

पिता का कठिन परिश्रम.....निधि अग्रवाल

जिम्मेदारियों के तले एक पिता,
पूरा जीवन गुजार देता है।
स्वयं कठिनाईयों को सहकर,
अपनी संतान का जीवन संवार देता है।

अपनी संतान का स्वप्न पूरा करने को,
स्वयं की इच्छाओं त्याग देता है।
करके कठिन परिश्रम वो,
नई आंखों को ख़्वाब देता है।

कभी हार नही मानता वो,
किस्मत से भी लड़ जाता है।
अपनी संतान के लिए वो,
ख़ुशियों का घरौंदा सजाता है।

अपनों की ख़ुशियों के लिए,
अपने आँसुओं को पी जाता है।
देखकर अपनी संतान की खुशियाँ,
जैसे वो जीवन का सारा सुख पा जाता है।

पिता वो रिश्तों का दरियाँ है,
जिसमें सारा समंदर समा जाता है।
लेखिका - निधि अग्रवाल

7 comments:

  1. पिता वो रिश्तों का दरियाँ है,
    जिसमें सारा समंदर समा जाता है।
    सही कहा संजयजी।

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  2. प्रशंसनीय

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  3. सही कहा पिता अपनों की खुशियों के लिए
    अपने आंसुओं को पी जाता है देखकर अपनी संतान की खुशि यां जैसे वो सारी खुशियां पा जाता है।
    बहुत सुंदर निधि जी

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  5. बुलबुल / हरिवंशराय बच्चन- Harivansh Rai Bachchan
    https://harivanshraibachchans.blogspot.com › ...

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  6. 15.जरथुस्त्र या पारसी धर्म । Zoroastrianism or Parsi Dharm
    https://gs2day.blogspot.com › 2021/07

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