Thursday, March 12, 2020

ऋतुराज वसंत की गलियन में ......... मृदुला प्रधान

यह कविता लगभग पच्चीस-तीस साल पहले, 
अपनी बेटियों को जगाने के लिए लिखी थी, 
हर साल वसंत- ऋतु में ज़रूर 
मन में घूमने लगती है.......

ऋतुराज वसंत की गलियन में
कोयल  रस-कूक   सुनावत हैं,
अधरों  पर   राग-विहाग लिए
अमरावाली  में,  इठलावट   हैं.
मधु-मदिरा पी, भ्रमरों के दल
कलियों  पर  जा  मंडरावत हैं,
मणि-माल लिए रश्मि-रथ पर
अब   भानु उदय को  आवत हैं . 
लखि   शोभा ऐसी  नैनन   सों
मृदु मन सबके   पुलकावत हैं,
पनघट जागी, जागी  चिड़िया
मेरी गुड़िया  भी  जागत हैं.
-मृदुला प्रधान
मूल रचना

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