Tuesday, March 3, 2020

ये लिक्खा पयाम किसका है ...नवीन मणि त्रिपाठी

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हमारे दिल से नया इन्तिक़ाम किसका है ।।
तुम्हारे हुस्न पे ताज़ा कलाम किसका है ।।

बिछीं हैं राह में पलकें, ज़िगर, उमीदें सब ।
सनम के वास्ते ये एहतिराम किसका है ।।

न दीन का ही पता और पता न ईमां का ।
बताऊं क्या तुझे क़ातिल अवाम किसका है ।।

मेरी क़िताब में गुल मिल रहे हैं कुछ दिन से ।
पता करो ये मुहब्बत का काम किसका है ।।

मैं मुन्तज़िर हूँ, मयस्सर कहाँ मुलाकातें ।
तुम्हारे ख़त में ये लिक्खा पयाम किसका है ।।

मिलो रक़ीब से लेकिन तुम्हें ख़बर ये रहे ।
सुकूनो चैन अभी तक हराम किसका है ।।

नज़र झुका के किया है कबूल तुमने जो ।
मेरे हबीब बताओ सलाम किसका है ।।

हयात तेरा भरोसा ही नहीं पल भर का ।
तमाम उम्र का यह इंतिज़ाम किसका है ।।

हरेक ज़र्रे में तुझको मिला ख़ुदा ज़ाहिद ।
अभी भी शक है तुझे अहतिमाम किसका है ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी

8 comments:

  1. नज़र झुका के किया है कबूल तुमने जो ।
    मेरे हबीब बताओ सलाम किसका है ।।
    बेहतरीन अश़आर...
    आभार..

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 03 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत सुंदर सृजन।

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  4. आ0 अग्रवाल जी रचना को प्रकाशित करने के लिए तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।

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  5. बहुत सुन्दर रचना

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  6. वाह !बहुत ही सुंदर

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