Saturday, July 22, 2017

एक और क्षितिज .......चंचलिका शर्मा


क्षितिज के 
उस पार भी है 
एक और क्षितिज 
चल मन चलें उस पार ..........

जहाँ तितलियाँ
इठलातीं , इतराती 
लहराती लहरों सी है 
जैसे दूर सागर के उस पार .......

भटक नहीं 
किसी बंधन में 
छोड़ उस पार की चिंता 
रम जा अब सिर्फ़ ही इस पार ......... 
- चंचलिका शर्मा

8 comments:

  1. बहुत सुंदर👌

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-07-2017) को "शंखनाद करो कृष्ण" (चर्चा अंक 2675) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. सुन्दर रचना

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  4. इस पार प्रिय हम हैं, तुम हो,
    उस पार न जाने क्या होगा !.... वाह!

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  5. बहुत सुन्दर...

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