तेरी बेवफाई का शिकवा सनम !
मै किसी से कर नही सकती !!
है गुनाहगार तू मेरा कहकर !
साहिब आहें भर नही सकती!!
इल्जाम क्या दूं मै तुझको !
बिन आइना संवर नही सकती !!
की हिमाकत मैने जहां मे सनम !
संगदिलो से जंग लड़ नही सकती !!
अब तो खुदाया का आसरा है !
दर्दे-दिल से अब गुजर नही सकती !!
लिख दूं नाम तेरा हर हरफ पर!
शरारत मै ऐसी कर नही सकती !!
तारीफ क्या करूं उस नाचीज की !
आबरू जिसकी बिगड़ नही सकती !!
आंखो से गिरे है मोती हजारो !
दामन खाली ये भर नही सकती !!
तराना क्या छेड़ू ग़ज़ल मे !
प्रीत बिन मुकम्मल कर नही सकती !!
कुछ नया कर जाऊं तो अच्छा!
आखिरी दम मगर पढ़ नही सकती !!
सात फेरे सात जन्मों का बंधन!
सात आरजुये मगर निखर नही सकती!!
कर जाये वो वफा तेरे साथ भी!
उम्मीद न कर ठहर नही सकती !!
तेरी पालकी में चार फूल अच्छे !
तेरे नाम से बगिया बिखर नही सकती !!
-प्रीती श्रीवास्तव..
सुप्रभात *´¨`*•.¸¸.•*´¨`*•.¸¸.•*´¨`*•.¸ ...हरे कृष्ण, हरे-कृष्ण,कृष्ण कृष्ण हरे हरे,. हरे...*...*...*
ReplyDeleteक्या बात बहुत खूब👌👌
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ReplyDeleteसात फेरे सात जन्मों का बंधन!
सात आरजुये मगर निखर नही सकती!!
सुंदर रचना, बधाई
ReplyDeleteसात फेरे सात जन्मों का बंधन!
सात आरजुये मगर निखर नही सकती!!
सुंदर रचना, बधाई
सुंदर रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteसुन्दर रचना हेतु बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 24 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 24 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteतेरे नाम की बगिया बिखर नहीं सकती
ReplyDeleteवाह!!!!
बहुत सुन्दर.....
बहुत लाजवाब है हर बात ... सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ==
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबेहतरीन रचना...
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteआदरणीय भैय्या जा
Deleteअच्छी रचनाओं के कद्रदान
अपने आप को प्रतिक्रिया लिखने से रोक नही पाते
सादर.....