Thursday, July 27, 2017

" निशा " ......चंचलिका शर्मा


क्यों इतनी 
सुहानी लगती हो 
कुछ मासूम , कुछ नादान
कभी 
" नव निशा " सी लगती हो ....
एक 
रूमानी सी मुस्कान 
चेहरे पर लिए 
दिन 
भर की थकान सबकी 
ओझल करती 
सबको तुम सुलाती हो ...... 
- चंचलिका शर्मा

2 comments:

  1. बहुत सुंदर.
    यशोदा दी आपसे एक अनुरोध है , कृपया मेरे ब्लोग पर आकर कहानी' टुकडा टुकडा भूख' पर अपनी आलोचनात्म्मक प्रतिक्रिया दीजियेगा.
    सादर

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