जल रहे गीता कुरान भी ...
साम्प्रदायिकता की आग में ।
वहशत नग्न नाच रही ...
शस्त्र लिए हाथ में ।
आत्मा ही मर गई जिनकी ।
मानवता को कुचल उनकी ।
यही आतंकवाद है ...
क्या यही जेहाद है...?
प्रश्न लाचार खड़ा..मौन क्यूँ ?
जब तडफ रही ...हर तरफ ।
हर दिल ...हर आँख है ।।
-अलका गुप्ता
वाह! सुंदर!!
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार जो इन भावों के मर्म आप को छू सके आदरणीय साथियों !!!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय यशोदा जी आपने मेरी रचना को मान दिया !सादर वंदे !
हार्दिक आभार आदरणीय !🙏
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