Wednesday, June 28, 2017

ईश्वर की कृपा जीवलोक तक.....नीरू मोहन

जापानी काव्य शैली ताँका

संरचना- 5+7+5+7+7= 31 वर्ण
दो कवियों के सहयोग से काव्य सृजन 
पहला कवि-5+7+5 = 17 भाग की रचना , 
दूसरा कवि 7+7 की पूर्ति के साथ श्रृंखला को पूरी करता |
पूर्ववर्ती 7+7 को आधार बनाकर अगली श्रृंखला 5+7+5 यह क्रम चलता रहता है इसके आधार पर अगली श्रृंखला 7+7 
की रचना होती है| इस काव्य श्रृंखला को रेंगा कहते थे |
5+7+5+7+7= 31 वर्ण

प्रभु भजन
प्राकृतिक सौंदर्य
उत्साही मन
नई ऊषा किरण
नवप्रभात संग
नई उमंग
नव चेतना लिए
धरा प्रसन्न
हर्षित जन-जन
उल्लासित है मन
विहग करें
सुरीला कलरव
मन मयूर
तन डोले बे-ताल
सुहावनी प्रभात
अरूण संग
स्वर्णिम गगन
मलय बहे
सुगंधित भू-तल
जीवलोक प्रसन्न ।।

1 comment: